What Does Shodashi Mean?

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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥

काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।

सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।

On walking to her historical sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her energy boosts in intensity. Her templed is entered by descending down a dark slim staircase using a crowd of other pilgrims into her cave-llike abode. There are plenty of uneven and irregular methods. The subterranean vault is hot and humid and still There's a sensation of basic safety and and safety from the dim light-weight.

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

Devotees of Shodashi interact in several spiritual disciplines that intention to harmonize the intellect and senses, aligning them with the divine consciousness. The next factors define the progression toward Moksha as a result of devotion to Shodashi:

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

Ignoring all caution, she went for the ceremony and found her father had began the ceremony without her.

After slipping, this Yoni about the Hill, it transformed right into a stone for the here advantage of human being but it's explained that still secretion of blood prevails periodically just as if Goddess menstruates.

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

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